
हुस्न पर जब भी मस्ती छाती है;
तब शायरी पर बहार आती है!
पीके महबूब के बदन की शराब;
जिंदगी झूम-झूम जाती है!
प्यार है हमको आपसे इस कद्र!
जागते है इंतज़ार में अब तो हर पहर!
आपके दीदार से होती है हर सहर!
और आपके खुमार में उठती है प्यार की लहर!
अपने हसीं होंठों को, किसी चीज़ से छुपा लिया करो;
हम गुस्ताख लोग है, नज़रों से चूम लिया करते हैं!
आँखें नीची है तो हया बन गई,
आँखें ऊँची है तो दुआ बन गई,
आँखें उठ कर झुकी तो अड़ा बन गई,
आँखें झुक कर उठी तो कदा बन गई!
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी!