sms

जो ज़ख्म दे गए हो आप मुझे;
ना जाने क्यों वो ज़ख्म भरता नहीं;
चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिलें;
मगर ये जो दिल है कमबख्त कुछ समझता ही नहीं।

किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ 'फ़राज़' कब तक;
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ।

आग दिल में लगी जब वो खफा हुए;
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए;
करके वफ़ा कुछ दे ना सकें वो;
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफा हुए।

तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना;
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना;
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना;
शौंक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।

sms

महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है;
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे;
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।

कोई भी नहीं यहाँ पर अपना होता;
इस दुनिया ने ये सिखाया है हमको;
उसकी बेवफाई का ना चर्चा करना;
आज दिल ने ये समझाया है हमको

sms

ज़िंदगी से बस यही एक गिला है;
ख़ुशी के बाद न जाने क्यों गम मिला है;
हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के;
पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है।

sms

कभी करीब तो कभी जुदा था तू;
जाने किस-किस से ख़फ़ा है तू;
मुझे तो तुझ पर खुद से ज्यादा यकीन था;
पर ज़माना सच ही कहता था कि बेवफ़ा है तू।

वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि;
जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं;
कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने;
फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं।

उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है;
नाम लब पर है और जान बाकी है;
क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते हैं;
तसल्ली है कि शक्ल की पहचान बाकी है।

End of content

No more pages to load

Next page