वो नदियाँ नहीं आंसू थे मेरे!
जिस पर वो कश्ती चलाते रहे!
मंजिल मिले उन्हें यह चाहत थी मेरी!
इसलिए हम आंसू बहाते रहे!

आज किसी की दुआ की कमी है!
तभी तो हमारी आँखों में नमी है!
कोई तो है जो भूल गया हमें!
पर हमारे दिल में उसकी जगह वही है!

हर रिश्ते को अजमाया है हमने!
कुछ पाया पर बहुत गवाया है हमने!
हर उस शख्स ने रुलाया है!
जिसे भी हमने इस दिल में बसाया है !

सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई !
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई !
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से !
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई !

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