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इस कदर छलकते है आँसू पलकों पे छुपा नहीं सकता;
मेरे कदम रोकते हैं मुझको उसके दर पे जा नहीं सकता;
न जाने किस की गलती थी कोई रूठ गया था मुझसे;
आज उसे मनाने की ख्वाहिश है पर दिल मजबूर है इतना कि मना नहीं सकता।

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भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है;
स्याही में थोड़ी सी, मेरे अश्कों की मिलावट है।

बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैंने ख्वाब देखता है;
कि आप आँसू बहाते सामने दुश्मन के बैठे हैं।

किसी ने मुझसे कहा आपकी आँखें बहुत खूबसूरत हैं;
मैंने कहा बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है।

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में;
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है।

आँखों से बहता पानी झरना है या है कोई समंदर;
हर पल क्यों ये लगता है जैसे कुछ टूट रहा है मेरे अंदर।

छूटा जो तेरा हाथ तो हम टूट के रोये;
तुम जो ना रहे साथ तो हम टूट के रोये;
चाहत की तमन्ना थी और ज़ख़्म दिए तुमने;
पायी जो यह सौगात तो हम टूट के रोये।

हँसोगे तो साथ हँसेगी दुनिया बैठ अकेले रोना होगा;
चुपके चुपके बहा कर आँसू दिल के दुःख को धोना होगा;
बैरन रीत बड़ी दुनिया की आँख से जो भी टपका मोती;
पलकों से ही उठाना होगा पलकों से ही पिरोना होगा।

आँखों में आकर रुक जाते हैं आँसू;
पलकों पर आकर रुक जाते हैं आँसू;
मन तो करता है बह जाने दूँ इनको;
पर आपकी हँसी को देख रुक जाते हैं आँसू।

तेरे ना होने से ज़िंदगी में बस इतनी सी कमी रहती है;
मैं चाहे लाख मुस्कुराऊँ फिर भी इन आँखों में नमी रहती है।

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