हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चिराग;
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो!
*अहवाल: परिस्थिति
शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया;
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम!
इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर, जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किस का था; हर एक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला, ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था! *सिफ़ात: खूबी *लुत्फ़: कृपा
बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का; कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते! *आशियाँ: घर
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया; लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!
ये जो सिर नीचे किए बैठे हैं; जान कितनों की लिए बैठे हैं!
इत्तेफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह; ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह!
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है; कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना! *अहवाल: परिस्थिति
इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो, कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो; रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो, प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो! *माह-ओ-साल: महीने और बरस
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा; मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!