
मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है;
देखते हैं पहले कौन आता है दोनों का इंतजार है।
कितना समझाया इस दिल को कि तू प्यार ना कर;
किसी के लिए ख़ुद को तू बेकरार ना कर;
वो तेरा नही बन सकता, किसी और की अमानत का तू इंतज़ार ना कर।

इस इंतज़ार की घडी को, पल-पल की बेक़रारी को लफ़्ज़ों में बयां कैसे कर दूँ;
मखमली एहसाँसों को, रेशमी जज़्बातों को अल्फ़ाज़ों में बयां कैसे कर दूँ।
पलट के आएगा वो मैं इंतज़ार करती हूँ;
कसम खुदा की उसे अब भी प्यार करती हूँ;
मैं जानती हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर;
मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करती हूँ।
जीने के लिए तेरी याद ही काफी है;
इस दिल में बस अब आप ही बाकी है;
आप तो भूल गए हो हमें अपने दिल से;
लेकिन हमें आज भी आपकी तालाश बाकी है।

पंखों को खोल कि ज़माना सिर्फ उड़ान देखता है;
यूँ जमीन पर बैठकर, आसमान क्या देखता है...

तुम आओ कभी दस्तक तो दो दर-ए-दिल पर;
प्यार पहले से कम हो तो सज़ा-ए-मौत दे देना।
मौत बख्शी है जिसने उस मोहब्बत की कसम;
अब भी करता हूँ इंतज़ार बैठकर मजार में।

रात को जब चाँद सितारे चमकते हैं;
हम हरदम फिर तेरी याद में तड़पते हैं;
आप तो चले गए हो छोड़कर हम को;
मगर हम मिलने को तरसते है।
आप सागर को एक बार मिल जाईए;
इसकी मौत के आने से पहले;
यह भी एक बार देख ले ज़िंदगी अपनी;
इस ज़िंदगी को गँवाने से पहले।