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शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;
आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!

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सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की,
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं;
सुना है उस को भी है शेर-ओ-शायरी से शग़फ़,
सो हम भी मोजिज़े अपने हुनर के देखते हैं!

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मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब';
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है!

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रोने वालों से कहो उन का भी रोना रो लें;
जिन को मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया!

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इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ;
तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ!

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मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे;
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे!

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गर्मी बहुत है आज खुला रख मकान को;
उस की गली से रात को पुर्वाई आएगी!

*पुर्वाई: पूर्व की वायु

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तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!

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मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे;
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे!
मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी;
मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे!

*जाँ-ब-लब: जिसके प्राण होंठों पर हों

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काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या;
फूलों की वारदात से घबरा के पी गया!

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