मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर; ये सोच ले कि मैं भी तेरी ख़्वाहिशों में हूँ!
लोग कहते हैं रात बीत चुकी; मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ!
अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं; कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं! *अगरचे: बहरहाल, यद्यपि, हालाँकि
हर एक रात को महताब देखने के लिए; मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए! *महताब: चाँद
धूप ने गुज़ारिश की; एक बूँद बारिश की!
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलते; न जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया!
ज़िक्र जब छिड़ गया क़यामत का; बात पहुँची तेरी जवानी तक!
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में; जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं!
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई; दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई!
अंधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ; लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे!



