हमेशा उस काम को कीजिये जिसे आपकी आत्मा करने की आज्ञा देती हो, क्योंकि ये ईश्वर की आवाज़ है!
सब्र कर ना तू फ़िक्र कर, ये वक़्त इबादतों का है बस ज़िक्र कर और शुक्र कर!
मंदिरों में जिन मूर्तियों का तुम ध्यान करते हो उन्हें तुमने ही बनाया है! पर उसका ध्यान कब करोगे, जिसने तुम्हें बनाया है!
दोस्ती नहीं है किसी दौलत की मोहताज़,
कृष्णा के अलावा कौन सी दौलत थी सुदामा के पास!
भक्ति हमें सम्पति तो नहीं देती पर प्रसन्नता ज़रूर देती है!
प्रसन्नता से बढ़कर कोई स्वर्ग नहीं और निराशा से बढ़कर कोई दूसरा नर्क भी नहीं है!
जहाँ आपको लगे कि आपके लिए जगह नहीं है;
बस धक्का-मुक्की करके बना लो! हर बार इमोशनल होने की ज़रूरत नहीं!
भगवान सिर्फ वहाँ नहीं है जहांँ हम प्रार्थना करते हैं, भगवान वहाँ भी है जहांँ हम गुनाह करते हैं।
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।।
संसार आँख खोलकर देखा जाता है, परमात्मा आँख बंद करके देखा जाता है!
संसार दूर-दूर है, उसके लिए यात्रा करनी पड़ती है; परमात्मा पास-पास है, उसके लिए सब यात्रा छोड़नी पड़ती है!
ज़ुबानी इबादत ही काफी नहीं;
ख़ुदा सुन रहा है ख्यालात भी!