Offline रहता हूं तो सिर्फ दाल, रोटी, नौकरी एवं परिवार की ही चिंता रहती है,
Online होते ही धर्म, समाज, राजनीती, देश, विश्व और पूरे ब्रह्माण्ड की चिंताए होने लगती है!!!

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अपनी ज़िंदगी के सलीके को कुछ यूँ मोड़ दो,
जो तुम्हें नज़र अंदाज़ करे उसे नज़र आना छोड़ दो!

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दुनिया के सारे दुःख एक तरफ और...
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उसी तरफ मैं! ऐसी ही है ज़िन्दगी!

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शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी;
पर चुप इसलिए हूँ कि जो दिया तूने वो भी बहुत लोगों को नसीब नहीं होता!

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ज़िन्दगी और घर में अपनों का होना बहुत ज़रूरी है!
वरना कितना भी एशियन पेंट करवा लो दीवारें कभी नहीं बोलती!

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ऐ-जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से,
हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे!

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गलतियाँ भी होगी गलत भी समझा जायेगा;
ये ज़िन्दगी है यहाँ तारीफें भी होंगी और ज़लील भी किया जायेगा!

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ज़िन्दगी की राहें तब आसान हो जाती हैं;
जब परखने वाला नहीं समझने वाला हमसफ़र हो!

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जिंदगी आसान बनाइये कुछ "अंदाज" से कुछ "नजर अंदाज" से!

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ज़िंदगी में तकलीफ़ "अकेलेपन" से नहीं, बल्कि अंदर के "शोर" से होती है!