पलट के आयेगी वो, मैं इंतज़ार करता हूँ; क़सम खुदा की, उसे अब भी प्यार करता हूँ; मैं जानता हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर; मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करता हूँ। |
इस कदर हमारी चाहत का इम्तिहान न लीजिये; क्यों हो हमसे ख़फ़ा ये बयां तो कीजिये; कर दीजिये माफ़ अगर हो गयी है मुझसे कोई खता; यूँ रूठ कर हमसे हमें सज़ा तो न दीजिये। |
याद हमें रखना, चाहे पास हम न हों; क़यामत तक चलता रहे, ये दोस्ती का सफ़र; दुआ करो रब से कि कभी क़यामत न हो। |
दूर हो जाने से रिश्ते नहीं टूटते; न ही सिर्फ पास रहने से जुड़ते हैं; ये तो दिलों के बंधन हैं इसलिए; हम तुम्हें और तुम हमें नहीं भूलते। |
रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी; दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी; जिसे दोस्त मिल जाये आप जैसा; उसे ज़िंदगी से शिकायत क्या होगी। |
तेरे इंतज़ार में यह नज़रें झुकी हैं; तेरा दीदार करने की चाह जगी है; न जानूँ तेरा नाम, न तेरा पता; फिर भी न जाने क्यों इस पागल दिल में; एक अज़ब सी बेचैनी जगी है। |
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो; कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो; रिश्ते तो मिलते हैं मुक़द्दर से बस; उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो। |
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली; वफ़ा करते भी देखो बुराई मिली; जितनी दुआ की तुम्हें पाने की; उस से ज्यादा तेरी जुदाई मिली। |
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं; पलकों पर आँसू छोड जाते हैं; कल कोई और मिले तो हमें ना भूलना; क्योंकि कुछ रिश्ते जिंदगी भर याद आते हैं। |
ये भी एक दुआ है खुदा से; किसी का दिल न दुखे मेरी वज़ह से; ए खुदा कर दे कुछ ऐसी इनायत मुझ पे; कि खुशियाँ ही मिलें सब को मेरी वज़ह से। |