बता मुझे ये तेरी तनहाई कैसी है; समझकर प्यार सारा फिर भी रुसवाई कैसी है; हमें और भी मजबूर कर दिया है तूने; तू बता तो सही ये तेरी तनहाई कैसी है? |
मत करो प्यार किसी से फूलों की तरह; फूल तो पल में मुरझा जाते हैं; प्यार करो तो करो कांटो की तरह; जो चुभने के बाद भी याद आते हैं। |
अपनी बेबसी पर आज रोना आया; दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया; हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने; लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया। |
दिल उनके लिए ही मचलता है; ठोकर खाता है और संभलता है; किसी ने इस कदर कर लिया दिल पर कब्ज़ा; दिल मेरा है पर उनके लिए धड़कता है। |
कब उनकी आँखों से इज़हार होगा; दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा; गुजर रही है रात उनकी याद में; कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा। |
तुम ना समझोगे इस तन्हाई के मायने; पूछना है तो शाख से टूटे पत्ते से पूछो क्या है जुदाई; यूँ ना कह दो बेवफा हमें; यह पूछो कि किस वक़्त तेरी याद नहीं आई। |
तेरी ख़ुशी से ही नहीं गम से भी रिश्ता है हमारा; तू जिंदगी का एक अहम हिस्सा है मेरा; ये प्यार का रिश्ता तुमसे सिर्फ लफ़्ज़ों का नहीं; तेरे दिल से दिल का रिश्ता है हमारा। |
दर्द में कोई मौसम प्यारा नहीं होता; दिल हो प्यासा तो पानी से गुजारा नहीं होता; कोई देखे तो हमारी बेबसी; हम सबके हो जाते पर कोई हमारा नहीं होता! |
ना साथी है कोई ना हमसफ़र है कोई; ना हम किसी के हैं ना हमारा है कोई; पर आपको याद करके कह सकते हैं कि; एक प्यार सा दोस्त हमारा भी है कोई। |
चाँद से पूछो या मेरे दिल से; तन्हा कैसे रात बिताई जाती है; घाट-घाट पर फिरने वाले क्या जाने; शबनम से भी प्यास बुझाई जाती है। |