प्रसन्न व्यक्ति वह है जो निरंतर स्वयं का मूल्यांकन एवं सुधार करता है। जबकि दुःखी व्यक्ति वह है जो दूसरों का मूल्यांकन करता है। सुपरभात! |
चाँद को बिठाकर पहरे पर; तारों को दिया निगरानी का काम; आई है यह रात सुहानी लेकर आपके लिए; एक सुनहरा सपना आपकी आँखों के नाम। शुभ रात्रि! |
रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना; जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है। सुप्रभात! |
सुबह सुबह की खूबसूरत किरणें कहने लगी मुझे, जल्दी से बाहर तो देखो मौसम कितना प्यारा है; मैंने भी कह दिया, थोड़ी देर रुक जाओ, पहले उसको मैसेज तो कर लूँ जो मुझे जान से प्यारा है। सुप्रभात! |
अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो, क्योंकि बुराईयाँ तुममें भी हैं और ज़ुबान दूसरों के पास भी है। सुप्रभात! |
हर जलते दीपक तले अँधेरा होता है, हर रात के पीछे एक सवेरा होता है, लोग डर जाते हैं मुसीबत को देख कर, मगर हर मुसीबत के पीछे सच का सवेरा होता है। सुप्रभात! |
फिर से चमका है एक टुकड़ा चॉद का; अपने अधूरे ख्वाब सजाने को; रात के अंधेरे को राह दिखाने को। शुभ रात्रि! |
यदि सपने सच नहीं हो तो रास्ते बदलो सिद्धान्त नहीं; क्योंकि पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं, जड़ें नहीं। सुप्रभात! |
आप का हर लम्हा गुलाब हो जाये, आप का हर पल शादाब हो जाये, जिन पर बरसती हैं खुदा की रहमतें, आपका भी नाम उनमें शुमार हो जाये। सुप्रभात! |
रात कितनी बोरिंग और वीरान सी हो जाती है; जब कुछ अपने याद किये बिना ही सो जाते हैं। शुभ रात्रि! |