इंसान को इंसान धोखा नहीं देता; बल्कि इंसान को उसकी उम्मीदें धोखा देती है, जो वो दूसरों से रखता है। |
हर कर्ज़ दोस्ती का अदा कौन करेगा; जब हम ही नहीं रहेंगे तो दोस्ती कौन करेगा; ऐ खुदा, मेरे दोस्त को सदा सलामत रखना; वरना मेरे जीने की दुआ कौन करेगा। |
समझा दो अपनी यादों को; वो बिन बुलाए पास आया करती हैं; आप तो दूर रहकर सताते हो मगर; वो पास आकर रुलाया करती हैं। |
हमें अपने दिल में बसाए रखना; हमारी यादों के चिराग जलाए रखना; बहुत लंबा है सफ़र ज़िंदगी का मेरे दोस्त; एक हिस्सा हमें भी बनाए रखना। |
अपनी तक़दीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुज़ारने के लिए दोस्ती कर ली; तो किसी ने दोस्ती कर के वक़्त गुज़ार लिया। |
झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ, सुबह और शाम मैं; सच बोलने की अदा ने हमसे, कई अजीज़ 'यार' छीन लिये। |
हर पल ने कहा एक पल से; पल भर के लिए तुम मेरे साथ रहो; पल भर का साथ कुछ ऐसा हो; कि हर पल तुम ही तुम याद रहो। |
तेरी याद में आंसुओं का समंदर बना लिया; तन्हाई के शहर में अपना घर बना लिया; सुना है लोग पूजते हैं पत्थर को; इसलिए तुझसे जुदा होने के बाद दिल को पत्थर बना लिया। |
मत करो प्यार किसी से फूलों की तरह; फूल तो पल में मुरझा जाते हैं; प्यार करो तो काँटों की तरह; जो चुभने के बाद भी याद आते हैं। |
ऐ रब अपने पास मेरी दुआ अमानत रखना; रहती दुनियां तक उसको सलामत रखना; मेरी आँखों के सारे दीप बुझा देना; पर उसकी आँखों के सारे ख्वाब सलामत रखना। |