ढलती शाम का खुला एहसास है; मेरे दिल में तेरी जगह कुछ ख़ास है; तुम दूर हो, ये मालूम है मुझे; पर दिल कहता है तू यहीं मेरे आस-पास है। |
दोस्ती ग़ज़ल है गाने के लिए; दोस्ती नगमा है सुनाने के लिए; ये वो जज़बा है जो सब को नहीं मिलता; क्योंकि आप जैसा दोस्त चाहिए निभाने के लिए। |
दो कदम तो सब साथ चलते हैं; पर ज़िंदगी भर का साथ कोई नहीं निभाता; अगर रो कर भुलाई जाती यादें; तो हँस कर कोई गम नहीं छुपाता। |
गिला रहे हमसे, शिकवा रहे हमसे; आरज़ू या बस यूँ ही एक सिलसिला रहे हमसे; फासले हों दरमियान, या खता हो कोई; दुआ है बस यही कि नज़दीकियां रहें हमसे। |
ग़म में हँसने वालों को कभी रुलाया नहीं जाता; लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता; होने वाले हो जाते हैं खुद ही दिल से जुदा; किसी को जबर्दस्ती दिल में बसाया नहीं जाता। |
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया; जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया; यूँ तो हर बात शाम उम्मीदों में गुज़र जाती है; आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया। |
बिताए हुए कल में आज को ढूँढता हूँ; सपनों में सिर्फ आपको देखता हूँ; क्यों हो गए आप मुझसे दूर, यह सोचता हूँ; तन्हा, यारों से छुपकर रोता हूँ। |
बड़ी आसानी से दिल लगाए जाते हैं; पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं; ले जाती है मोहब्बत उन राहों पर; जहाँ दीये नहीं दिल जलाए जाते हैं। |
भूल से कभी हमें भी याद किया करो; प्यार नहीं तो शिकायत ही किया करो; इतनी भी क्या नाराजगी कि बात ही ना करो; मिलना नहीं तो दिल से ही याद किया करो। |
बूँद-बूँद से है सागर की गहराई; इसकी हर बूँद है मुझ में समाई; कोई मांगे तो एक बूँद ना दे सकेंगे; क्योंकि हर बूँद में है आपकी याद समाई। |