ताज़ी हवा में फूलों की महक हो; पहली किरण में चिड़ियों की चहक हो; जब भी खोलो आप अपनी पलकें, उन पलकों में बस खुशियों की झलक हो। सुप्रभात! |
रात हो चुकी है, ठंडी हवा चल रही है; याद में आपको किसी की मुस्कान खिल रही है; उनके सपनों की दुनिया में आप खो जाओ; आँखें करो बंद और आराम से सो जाओ। शुभ रात्रि! |
यह ज़िन्दगी बस सिर्फ पल दो पल है; जिसमें न तो आज और न ही कल है; जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह; जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है। शुभ दिन! |
सूरज तू उनको मेरा पैगाम देना; ख़ुशी का दिन और हंसी की सुबह देना; जब वो देखें तुझे बाहर आकर; तो उनको मेरा सुप्रभात कहना। |
गहरी थी रात लेकिन हम खोए नहीं; दर्द बहुत था दिल में, पर हम रोए नहीं; कोई नहीं हमारा जो पूछे हमसे; जाग रहे हो किसी के लिए, या किसी के लिए सोए नहीं। शुभ रात्रि! |
हर सुबह निकल पड़ता है जो खुद की तलाश में; वो खोई हुई सी एक पहचान हूँ मैं; ना आँखों में ख्वाब है ना दिल में तमन्ना कोई; अपनी बनाई हुई राहों से ही अनजान हूँ मैं। सुप्रभात! |
रुक कर हवा ने हमसे तेरे घर का पता पूछा; हमने पूछा क्यों उस घर में ऐसा क्या है; उसने कहा चाँद है जो जुल्फों में घिरा है; देखने को उसका चेहरा सारा जहां खड़ा है। शुभ रात्रि! |
चाँद जब निकलता है तो तेरा गुमां होता है; इस कदर दिल फरेब समय होता है; हम तेरी याद में खोए रहते हैं; नींद में जब सारा जहां होता है। शुभ रात्रि! |
मौसम की बहार अच्छी हो; फूलों की कलियाँ कच्ची हों; हमारे ये रिश्ते सच्चे हों; ऐ रब तेरे से बस एक दुआ है; कि मेरे यार की हर सुबह अच्छी हो। सुप्रभात! |
उजाला काफी हो चुका है; उस शमा को बुझा दो; एक हसीं सुबह राह देख रही है आपकी; बस पलकों को हलके से उठा दो। सुप्रभात! |