पांच सौ रूपए दूंगा!

एक बार बंता संता के घर गया, उसने डोरबेल बजाई, संता की पत्नी ने दरवाजा खोला तो बंता ने पूछा जी, क्या संता जी घर पर है?

संता की पत्नी ने जवाब दिया जी नहीं, वे बाजार गए है, अगर जरुरी काम है तो आप इन्तजार करें वे आते ही होंगे!

बंता अन्दर चला गया थोड़ी देर बैठने के बाद इधर उधर की बातें होती रही फिर बंता एक दम से बोल पड़ा:

जीतो जी, एक बात कहूँ आपके वक्ष काफी बड़े और सुन्दर हैं, और मैंने आज तक इतने बड़े वक्ष नहीं देखे है, अगर आप मुझे अपना एक वक्ष दिखा दें तो मैं आपको 500 रूपए दूंगा!

जीतो ने थोड़ी देर सोचा और कहा क्या 500 रूपए सिर्फ दिखाने के!

जीतो ने जल्दी से एक वक्ष कमीज से बाहर निकाला और बंता को दिखाया!

बंता ने उसकी तारीफ करते हुए कहा कि अगर आप मुझे दूसरा वक्ष भी दिखा दो तो मैं तुम्हें और 500 रूपए दूंगा मैं तुम्हारे दोनों वक्षों को में देखना चाहता हूँ!

जीतो ने तुरंत अपना कमीज को ऊपर उठाया और दोनों वक्ष उसके सामने कर दिए!

बंता ने उन्हें देखा और 500 रूपए टेबल पर फेंकता हुआ उठ गया और कहने लगा अब मैं चलता हूँ और बंता वहां से निकल गया!

बंता के जाने के थोड़ी देर बाद संता जब घर पहुंचा तो उसकी बीवी ने ख़ुशी प्रकट करते हुए कहा आज आपके एक बहुत अच्छे दोस्त आये थे उनका नाम बंता है और उन्होंने...... अभी उसकी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि संता बोल पड़ा!

क्या उसने हजार रूपए दिए, जो वो मुझसे उधार ले गया था?