टीचर: आज तुम क्लास में बातें कर रहे हो। रोज़ तो नज़रें झुकाये मेरा लेक्चर सुनते रहते थे। क्या हुआ तुम्हें आज?
पप्पू: मैडम आज मेरा "नेट पैक" खत्म हो गया है।
सहेली (पिंकी से): तेरे कमरे में हर तरफ कपड़े बिखरे पड़े हुए हैं, इन्हे अलमारी में क्यों नहीं रखती?
पिंकी (मायूस होकर): जिससे कपड़े माँगकर लाई हूँ उससे अलमारी मांगते शर्म आती है।
पप्पू: पापा, दारु न पिया करो।
संता: बेटा, पी लेने दे साथ और क्या ले जाना है।
पप्पू: अगर इसी तरह पीते रहे तो छोड़ के भी कुछ नहीं जाओगे।
सिंधी: तुम आज ये पार्टी क्यों दे रहे हो?
पठान: ओये मेरा स्कूटर ग़ुम हो गया है इसलिए।
सिंधी: अरे स्कूटर ग़ुम होने में कौन सी ख़ुशी की बात है?
पठान: अरे ख़ुशी की तो बात है, सोचो अगर स्कूटर पर मैं बैठा होता तो मैं भी ना गुम हो जाता।
टीचर: चाँद पर पहला कदम किसने रखा?
पप्पू: नील आर्मस्ट्रांग ने।
टीचर: और दूसरा?
पप्पू: दूसरा भी उसी ने रखा होगा...लंगड़ा शेर खेलने थोड़ा गया था वो।
बंता गबराया हुआ पुलिस थाने पहुंचा और कहने लगा: थानेदार साहब, मेरे मित्र, संता के साथ भयंकर दुर्घटना हो गई है।
"कैसी दुर्घटना?" थानेदार ने चौंक कर पूछा।
बंता बोला: वह आज मेरी पत्नी को भगाकर ले गया है।
जीतो: एक शादीशुदा ज़िंदगी में और पागलखाने में क्या अंतर है।
संता: पागलखाने में आप ठीक होकर बाहर जा सकते हो और शादीशुदा ज़िंदगी में ऐसा कुछ संभव नहीं है।
एक बार पठान की बिल्डिंग में आग लग गयी।
फायरमैन(पठान से): तुम ऊपर से कूद जाओ, हम तुम्हें इस जाल में पकड़ लेंगे।
पठान: नहीं, मुझे तुम लोगों पर भरोसा नहीं है। जाल को ज़मीन पर बिछा दो।
पठान: मैं मरने के बाद अपना दिमाग हॉस्पिटल में दान करना चाहता हूँ।
सिंधी: हाँ सही है। तुम्हारा दिमाग उनके बहुत काम आएगा।
पठान: वो कैसे?
सिंधी: डॉक्टरों को भी पता चल जायेगा कि जो दिमाग कभी इस्तेमाल ही नहीं हुआ वो कैसा होता है।
पठान ने कस्टमर केयर पर फोन किया।
पठान: मेरा मोबाइल कुत्ता निगल कर भाग गया।
कस्टमर केयर अधिकारी: तो मैं क्या करूँ उसमे?
पठान: बस इतना बता दो कि रोमिंग तो नहीं लगेगी?



