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संता: बेटा मैंने एक नया नंबर लिया है, तुम भी नोट कर लो।
पप्पू: जी मैंने मोबाइल में नोट किया हुआ है।
संता: अच्छा किस नाम से?
पप्पू: पापा नंबर 2।

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डॉक्टर (मरीज़ से): जानते हो मैं बचपन में चाहता था कि मैं बड़ा होकर डाकू बनूं।
मरीज़ (डॉकटर का बिल देखते हुए): बहुत खुशकिस्मत हैं आप, वरना आज-कल किसके सपने पूरे होते हैं।

बंता: यार संता, हमारे यहाँ जेल को हवालात क्यों कहते हैं?
संता: क्योंकि हमारी पुलिस जेल में खाने के लिए हवा और लात ही देती है।

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पप्पू: कल मैंने एक रॉकेट छोड़ा तो सीधा सूरज से टकरा गया।
बंटी: फिर क्या हुआ?
पप्पू: फिर मेरी पिटाई हुई।
बंटी: किसने पीटा?
पप्पू: सूरज की मम्मी ने यार।

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बंता: और भाई संता तुम्हारी बीवी के घुटने का दर्द ठीक हुआ कि नहीं?
संता: हां यार डॉक्टर को दिखाते ही ठीक हो गया।
बंता ने हैरानी से पूछा: अच्छा, कौन सी दवा से?
संता: दवा वगैरह कुछ नहीं। बस, डॉक्टर ने बताया कि यह बुढ़ापे की निशानी है और उस दिन के बाद उसने दर्द की शिकायत ही नहीं की

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टीचर: पप्पू तुम हर रोज़ लेट क्यों हो जाते हो?
पप्पू: जी वो एक बोर्ड के कारण।
टीचर: कैसा बोर्ड?
पप्पू: रास्ते में एक बोर्ड है जिस पर लिखा है, "आगे स्कूल है, कृपया धीरे चलें"।

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मरीज़: डॉक्टर साहब, मेरी दो जगह से टांग टूट गयी है। मैं क्या करूँ?
डॉक्टर: दोबारा उन जगहों पर कभी मत जाना।

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पठान ट्रेन की टिकट ले रहा था।
पठान: बच्चों का आधा टिकट लगता है न?
बुकिंग क्लर्क: हाँ अगर 12 से कम हैं तो।
पठान: हाँ भाई मेरे तो अभी 5 ही हैं।

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टीचर: पप्पू तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?
पप्पू: मैं बड़ा होकर अपने पापा की तरह बहुत पैसा कमाना चाहता हूँ।
टीचर: तो तुम्हारे पापा के पास बहुत पैसे हैं?
पप्पू: नहीं, पर वो भी बहुत पैसा कमाना चाहते हैं।

पप्पू के स्कूल में आग लग गयी। सब बच्चे ख़ुश थे कि अब स्कूल नहीं आना पड़ेगा, पर पप्पू उदास था।
टीचर: क्या हुआ पप्पू, तुम उदास क्यों हो?
पप्पू: टीचर, आप ज़िंदा कैसे बच गए?

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