रब तू अपना जलवा दिखा दे;
सबकी ज़िंदगी को अपने नूर से सवार दे;
बस यही दुआ है मेरे मालिक;
इस रमज़ान में सबकी ज़िंदगी में खुशियां बिखेर दे।
रमज़ान मुबारक़
गुलशन को कर रही है मोत्तार ये हवायें;
आता नहीं नज़र कुछ भी अब उसके सिवाये;
करते हैं दुआ उस परवरदिगार से;
बख्श दे वो हमारे गुनाह इस महे रमजान में।
रमज़ान मुबारक
बे-जुबानों को वो जुबान देता है;
पढ़ने को फिर वो कुरान देता है;
बक्शने पे आये जब जब वो गुनाहों को;
तोहफे में गुनाहगारों को रमजान देता है।
रमज़ान मुबारक।
हो खुदा की हम पर मेहरबानी;
हो माफ़ हमारी हर न-फ़रमानी;
आओ मिलकर करें यह वादा;
चलें खुदा की दिखाई राहों में;
महे रमदान में ऐसा बुलंद करें अपना इरादा।
रमज़ान मुबारक
तुम हमारे दिल के करीब हो;
हम से दूर होकर भी अज़ीज़ हो;
दुआओं में याद कर लेना हमें भी कभी;
शायद आपकी दुआ में हमारा नसीब हो।
रमज़ान मुबारक़!
रमज़ान का मुबारक़ महीना;
अल्लाह की इबादत का महीना;
मोहब्बत उस महबूब की;
अहमियत उस खुदाई इल्म की;
यही है राह-ए-खुदाई का महीना;
मुबारक़ हो आपका रमज़ान का महीना।
बख्शीश का फिर से सामान आ गया;
कर लो ख़ातिर-तवज्जो मेहमान आ गया;
बढ़ गयी हैं मस्जिद की रौनकें;
मुबारक़ हो सबको रमदान आ गया।
रमज़ान मुबारक़!
तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मौला;
वरना तेरी रहमतों के क़ाबिल मेरी बंदगी नहीं।
रमज़ान मुबारक़।
ऐ चाँद उनको मेरा ये पैग़ाम कहना;
ख़ुशी का दिन और हँसी की शाम कहना;
जब देखें बाहर आकर वो तुझे;
मेरी तरफ से उनको मुबारक़ रमज़ान कहना।
गुल ने गुलशन से गुलफ़ाम भेजा है;
सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है;
मुबारक़ हो आपको यह रमदान;
ये पैगाम हमने सिर्फ आपके नाम भेजा है।
रमज़ान मुबारक़!