एक शराबी से मैंने कहा ध्यान से चलो नाली में मत गिर जाना!
कमीना बोला, "हम अर्थव्यवस्था चलाते हैं और तुम हमें चलना सिखाओगे!"
दारू की दुकानें खुलने के बाद, बहुत से लोग तो शाम होने से पहले ही...
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खुद को "क्वार्टरटाइंन" करके, "आइसोलेशन" में चले जाते है!
लड़खड़ाना तो शराब की फितरत है;
पिये तो शराबी लड़खड़ाए, ना पिये तो सरकार!
शरीबियों ने सरकार को दी धमकी:
बोले... हमें ज्यादा परेशान किया तो हम शराब पीना बंद कर देंगे! फिर संभालते रहना अपनी अर्थव्यवस्था!
आज पता चला कि शराबी तो दिव्यात्मा हैं!
जब फ्री में पीते हैं तो सरकार बदल देते हैं और जब खरीदकर पीते हैं तो अर्थव्यवस्था!
दो दिनों में एक बात जो समझ में आयी वो यह कि देश भूखा नहीं,
प्यासा था!
तबलिगी जमात के घनघोर उत्पात के बाद अब पेश है...
तलब लगी जमात!
अब समझ आया कि एक शराबी के पैर क्यों डगमगा जाते हैं!
उसके कंधों पर देश की अर्थव्यवस्था का बोझ होता है!
अभी एक दोस्त का फ़ोन आया था बोला, "अब अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी!"
मतलब बोतल मिल गई है!
जिन शराबियों का समाज में तिरस्कार किया जाता है,
वो अब देश की अर्थव्यवस्था संभालेंगे