इंसान जीवन में रिश्ते नातों को निभाता चला गया;
जीवन की इस दौड़ में खुद को भुलाता चला गया;
बंदगी भी ना कर पाया उस खुदा की रहमतों की;
खाली हाथ आया था और मुठी बंद कर चला गया।
प्रभु के आगे जो झुकता है वो सबको अच्छा लगता है;
लेकिन, जो सबके आगे झुकता है वो प्रभु को अच्छा लगता है।
दौलत छोड़ी दुनिया छोड़ी सारा खज़ाना छोड़ दिया;
वाहेगुरू के प्यार में दीवानों ने राज घराना छोड़ दिया; दरवाज़े पे जब लिखा हमने नाम हमारे वाहेगुरू का;
मुसीबत ने दरवाज़े पे आना छोड़ दिया।
सिमरन कर लोगे तुम जितना, उतना ही अज्ञान मिटेगा;
सुख-दुःख तुमको एक लगेंगे, जब सच्चा वो ज्ञान मिलेगा;
जब औरों के काम आओगे. तब-तब जीवन सफल रहेगा;
उससे मिलना फिर मुमकिन है, जब औरों का ध्यान रहेगा।
हिम्मत ना हारिये, उस मालिक को न बिसारिये;
मुश्किलों और कठिनाइयों का अगर करना है खात्मा;
तो हर वक़्त कहते रहो तेरा शुक्र है परमात्मा, तेरा शुक्र है परमात्मा।
मैं रोज़ गुनाह करता हूँ और खुदा मुझे माफ़ कर देता है;
मैं मज़बूर आदत से हूँ और वो मज़बूर अपनी रेहमत से है।
तकदीर पे लिखे पर शिकवा न कर;
तू अभी इतना समझदार नहीं कि रब के इरादे समझ सके।
इस दश्त के सेहरा को समंदर कर दे;
या मेरी आँख के हर अश्क को पत्थर कर दे;
या खुदा मैं और कुछ नहीं मांगता तुझ से;
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे।
प्रभु से यह मत कहो कि समस्या विकट है;
बल्कि समस्या से कह दो कि मेरे प्रभु मेरे निकट हैं।
जब तेरी ररहमतों पर मेरी नज़र जाती है;
ऐ खुदा! मेरी ये दो आँखें फिर भर आती हैं;
तू दे रहा है मुझे हर चीज़ इस कदर;
कि हाथ दुआ में उठने से पहले ही झोली भर जाती है।