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संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता;
मंदिर जाकर भगवान् नहीं मिलता;
पत्थर तो लोग इसीलिए पूजते हैं;
क्योंकि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता।

एक एक कर इतनी कमियां निकाली लोगों ने 'मुझमें';
कि अब बस 'खुबियां' ही रह गई हैं मुझमें!

जब तेरी रहमत पर मेरी नज़र जाती है - मेरे रब जी, मेरी आँखें भर आती हैं;
तू दे रहा है मुझे इस क़दर कि हाथ दुआ में उठने से पहले ही झोली भर जाती है!

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कहते है:
ज़िंदगी का आखिरी 'ठिकाना' ईश्वर का घर है।
कुछ अच्छा कर लें, मुसाफिर! किसी के घर 'खाली' हाथ नहीं जाते!

कभी आप दूसरों के लिए मांग कर देखो;
तुम्हें कभी अपने लिए मांगने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।

प्यार करो तो धोखा मत देना;
प्यार को आंसुओं का तोहफा मत देना;
दिल से रोए कोई तुम्हें याद करके;
ऐसा किसी को मौका मत देना।

तू इस कदर इंसान को बेबस ना बना ऐ मेरे खुदा, कि तेरा बंदा तुझसे पहले किसी और के आगे झुक जाए!

जब दुआ और कोशिश से बात ना बने, तो फैसला भगवान पर छोड़ दो, भगवान अपने बन्दों के बारे में बेहतर फैसला करते हैं।

अगर ख़ुदा नहीं तो उसका ज़िक्र क्यों और अगर वो है तो फ़िक्र क्यों।

जब ऊपर वाला आपसे कुछ वापिस लेता है तो, यह मत सोचो कि उसने आपको कोई दंड दिया है;
हो सकता है, उसने आपका हाथ खाली किया हो, पहले से बेहतर कुछ देने के लिए!

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