मूर्खों से तारीफ़ सुनने से बुद्धिमान की डांट सुनना ज्यादा बेहतर है।
आचार्य चाणक्य
एक व्यक्ति ने स्वामी जी से पूछा: सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है?
स्वामी ने जवाब दिया: "वो उम्मीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ पा सकते हैं।"
जीवन में कभी भी कठिन हालत में अपनी आस्था को कम न होने दें;
क्योंकि;
भगवान जिसे सच्चे मन से प्यार करते हैं उन्हें ही अग्नि परीक्षाओं से होकर गुजारते हैं।
"जय श्री कृष्ण"
बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है।
जो हाथ सेवा के लिए उठते हैं, वे प्रार्थना करते होंठों से पवित्र हैं।
मेरा-तेरा;
छोटा-बड़ा;
अपना-पराया;
मन से मिटा दो;
फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
प्रभु के सामने जो झुकता है, वह सबको अच्छा लगता है;
लेकिन;
जो सबके सामने झुकता है वो प्रभु को अच्छा लगता है।
इंसानियत इंसान को इंसान बना देती है;
लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है;
वर्ना कौन जाता मंदिरों में पूजा करने;
आस्था ही पत्थरों को भगवान बना देती है।
साईं वाणी:
जीवन मिलना भाग्य की बात है;
मृत्यु आना समय की बात है;
पर मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना;
ये 'कर्मों' की बात है।
संत की जाती नहीं होती;
आकाश का घुमाव नहीं होता;
भूमि का तौल नहीं होता और;
पारस का कोई मोल नहीं होता।
धर्म न कोई करने की वस्तु है और न ही कोई पूजा पाठ का तरीका है;
धर्म तो मात्र सात्विक, कर्तव्य और अकर्तव्य है;
जो हमें अपने जीवन में उन्नति की ओर तथा;
सत्य एवं परमात्मा की ओर ले जाता है।