जिस दिन हमारा मन परमात्मा को याद करने और उसमे दिलचस्पी लेना शुरू कर देगा,
उस दिन हमारी परेशानियां हम में दिलचस्पी लेना बंद कर देंगी।
जो बिगड़ी गाड़ियाँ सुधारे, वो मैकेनिक;
जो बिगड़ी मशीनें संवारे, वो इंजीनियर;
जो बिगड़े शरीरों को सुधारे, वो डॉक्टर;
जो बिगड़े मुक़द्दर संवारे, वो परमात्मा।
मैं हर बार आजमाता हूँ कि ईश्वर है कि नहीं,
पर उसने एक बार भी सबूत नहीं माँगा कि मैं इन्सान हूँ कि नहीं।
श्रद्धा और विश्वास ऐसी जड़ी बूटियाँ हैं कि जो एक बार घोल कर पी लेता है वह चाहने पर मृत्यु को भी पीछे धकेल देता है।
बिना माँगें इतना दिया दामन में मेरे समाया नही;
जितना दिया प्रभु ने मुझको उतनी तो मेरी औकात नही;
यह तो करम है उनका वरना मुझ में तो ऐसी बात नही।
क्यों इतना वक़्त गुज़ारते हो देखते हुए खुद को "आईने" में;
कुछ वक़्त बैठो प्रभु के सामने खूबसूरत हो जाओगे सही "मायने" में।
जब तेरी रहमत पर मेरी नज़र जाती है, मेरी आँखें भर आती हैं;
तू दे रहा है मुझे इस क़दर कि हाथ दुआ में उठने से पहले ही झोली भर जाती है।
जब दुआ और कोशिश से बात ना बने,
तो फैसला भगवान पर छोड़ दो, भगवान अपने बन्दों के बारे में बेहतर फैसला करते हैं।
परमात्मा का सिमरन ज़ुबान की हरकत ही नहीं रूह की पुकार भी है।
भग़वान कहते हैं,
"तलाश ना कर मुझे ज़मीन-ओ-आसमान की गर्दिशों में अगर तेरे दिल में नहीं हूँ तो कहीं नहीं हूँ मैं।"