
नींद नहीं बदलती बस सपने बस सपने बदल जाते हैं;
मंज़िलें नहीं बदलती बस रास्ते बदल जाते हैं;
जगा लो जज़्बा जीतने का दिल में;
क्योंकि कोशिश करने से तो वक़्त बदल जाते हैं।

कल का दिन किसने देखा है;
आज की दिन भी खोयें क्यों;
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं;
उन घड़ियों में फिर रोये क्यों।

दीपक तो अँधेरे में ही जला करते हैं;
फूल तो काँटो में ही खिला करते हैं;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर;
हीरे तो अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।

नदी जब किनारा छोड़ देती है;
राह की चट्टानों को भी तोड़ देती है;
बात छोटी सी भी अगर चुभ जाये दिल में;
तो ज़िंदगी के रास्ते और दिशा बदल देती है।

हर जलते दीपक तले अँधेरा होता है;
हर रात के बाद सवेरा होता है;
लोग डर जाते हैं मुसीबतों को देखकर;
पर मुसीबतों के बाद ही तो कामयाबी का सवेरा होता है।

मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।

मेरी मंज़िल मेरे करीब है;
इसका मुझे एहसास है;
गुमान नहीं मुझे इरादों प अपने;
ये मेरी सोच और हौंसलों का विश्वास है।
तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया;
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता;
कुत्ते भोंकते हैं अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए;
मगऱ जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बंयाँ करता है।

खुद पर विश्वास और कर्म पर हो आस्था;
फिर कितनी ही आ जायें मुश्किलें मिल ही जाता है रास्ता।

ख़्वाहिशों से नहीं गिरते महज़ फूल झोली में;
कर्म की शाख को हिलाना पड़ता है;
न होगा कुछ कोसने से अंधेरें को;
अपने हिस्से का 'दिया' खुद ही जलाना होगा।