
हर दर्द की एक पहचान होती है;
ख़ुशी चंद लम्हों की मेहमान होती है;
वही बदलते हैं रुख हवाओं का;
जिनके इरादों में जान होती है।

अपने ग़मों की तू नुमाईश न कर;
अपने नसीब की यूँ आज़माईश न कर;
जो तेरा है वो खुद तेरे दर पर चल कर आएगा;
रोज़ उसे पाने की ख्वाहिश न कर।
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये।

आँधियों को ज़िद्द है जहाँ बिजलियाँ गिराने की;
मुझे भी ज़िद्द है वही आशियाँ बसाने की;
हिम्मत और हौंसले बुलंद हैं, खड़ा हूँ अभी गिरा नहीं हूँ;
अभी जंग बाकी है और मैं भी अभी हारा नहीं हूँ।
निगाहों में मंज़िल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे;
कोशिश की हवाओं ने बहुत, मगर चिराग़ हिम्मत के आंधियों में भी जलते रहे।
सामने हो मंज़िल तो रास्ते न मोड़ना;
जो भी मन में हों वो सपने न तोडना;
क़दम -क़दम पे मिलेगी मुश्किल आपको ;
बस सितारे चुनने के लिए कभी ज़मीन मत छोड़ना।
रख हौंसला वो मंज़र भी आएगा;
प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा;
थक कर न बैठ मंज़िल के मुसाफिर;
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।
दो अक्षर का शब्द है 'लक';
ढाई अक्षर का शब्द है 'भाग्य';
तीन अक्षर का शब्द है 'नसीब';
साढ़े तीन अक्षर का शब्द है 'किस्मत';
मगर ये चारों के चारों चार अक्षर के शब्द 'मेहनत' के सामने छोटे होते हैं।

परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की;
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की;
रखते हैं जो हौसला आसमानों को छूने का;
उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की।
ख़्वाहिशों से नहीं गिरते महज़ फूल झोली में, कर्म की शाख को हिलाना होगा;
न होगा कुछ कोसने से अंधेरें को, अपने हिस्से का दिया खुद ही जलाना होगा।