ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिए।
छोटी सी जिन्दगी है, हर बात में खुश रहो,
जो चेहरा पास ना हो उसकी आवाज में खुश रहो,
कोई रूठा हो आप से उसके अंदाज में खुश रहो,
जो लौट के नही आने वाले उनकी याद में खुश रहो,
कल किसने देखा अपने आज में खुश रहो।
जो दिल में शिकवे कम और जुबान पर शिकायतें कम रखते हैं,
वही लोग हर रिश्ता निभाने का दम रखते हैं।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ के दर्द मिटाने बाकी हैं कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।
अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िन्दगी का तज़ुर्बा थोड़ा थोड़ा।
ज़िन्दगी शायद इसी का नाम है,
दूरियां मज़बूरियां तन्हाईयाँ।
कुछ चंद लम्हें ज़िंदगी के ज़िंदगी को मायनों से भर देते हैं,
वरना ज़िंदगी तो अक्सर यूँ ही बेमानी सी गुज़र जाती है।
जिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बढ़िया इलाज़ बताया;
वक्त को दवा कहा और ख्वाहिशों का परहेज बताया।
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में;
पर बेवजह खुश रहने का मज़ा ही कुछ और है।
क्यों जुड़ता है तू इस जहान से,
एक दिन ये गुज़र ही जायेगा;
चाहे कितना भी समेट ले तू इस जहान को,
मुट्ठी से तो एक दिन फिसल ही जायेगा।



