मुस्कुराते रहोगे तो दुनिया आपके क़दमों में होगी;
वरना आंसुओं को तो तो आँखें भी जगह नहीं देती।
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम;
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम।
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी;
बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी;
हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए;
वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी।
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो;
हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो।
इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं;
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं;
कैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँ;
सुन रहा हूँ कि घिर गया हूँ मैं।
किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है;
जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या है।
कितना और बदलूं खुद को जिंदगी जीने के लिए;
ऐ जिंदगी, मुझको थोडा सा... मुझमे बाकी रहने दे!
साथ रहते यूँ ही वक़्त गुज़र जायेगा;
दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा;
जी लो ये पल जब हम साथ हैं;
कल क्या पता वक़्त कहाँ ले जायेगा।
मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोस;
यूँ तो ज़िंदगी में आये हैं सभी मरने के लिए।
रोया हूँ बहुत तब जरा करार मिला है;
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है;
गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से;
एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है।



