ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है;
मुर्दादिल ख़ाक जिया करते है?
असफलताए इंसान को तोड़ देती है;
जीवन की राहों को नया मोड़ देती है;
जो करते हैं, जी-जान से प्रयास पूरा;
असफलताएं उनका पीछा छोड़ देती है।
जिन्दगी की उलझनों ने;
कम कर दी हमारी शरारते;
और लोग समझते हैं कि;
हम समझदार हो गये।
मौत अंजाम-ए-ज़िन्दगी है मगर;
लोग मरते हैं ज़िन्दगी के लिए।
कौन देता है उम्र भर का सहारा;
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं!
तेरे आज़ाद बन्दों की ना ये दुनिया ना वो दुनिया;
यहाँ मरने की पाबंदी, वहां जीने की पाबंदी!
जिंदगी जिसको तेरा प्यार मिला वो जाने;
हम तो नाकाम ही रहे चाहने वालों की तरह!
आंधियां गम की चलेंगी तो संवर जाऊंगा;
मैं तो दरिया हूँ समंदर में उतर जाऊंगा;
मुझे सूली पे चढाने की ज़रूरत क्या है;
मेरे हाथ से कलम छीन लो मैं मर जाऊंगा!
देखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना करीब से, कि चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से;
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएं भार, बीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से;
कुछ इस तरह दिया है ज़िन्दगी ने हमारा साथ जैसे कोई निभा रहा हो रकीब से;
ए रूह-ए-असर जाग कहाँ सो रही है तू, आवाज़ दे रहे हैं पयम्बर सलीब से!
खुशनसीब हैं वो जो दिल मे किसी को जगह देते हैं;
बेचैनी सहकर भी दूसरों को हंसना सिखा देते हैं;
दुनियावाले लाख चाहें बदनाम उन्हें कर लें;
मगर वो अपनी सादगी से हर दिल में जगह बना लेतें हैं!



