रास्ते कहा खत्म होते हैं, ज़िन्दगी के इस सफ़र में;
मंजिल तो वही है, जहाँ ख्वाहिशें थम जाये!

ऐ ज़िन्दगी, तोड़ कर हमको ऐसे बिखेरो इस बार;
न फिर से टूट पायें हम, और न फिर से जुड़ पाओ तुम!

क्या कहूँ तुझे ख्वाब कहूँ, तो टूट जायेगा;
दिल कहूँ, तो बिखर जायेगा!
आ तेरा नाम ज़िन्दगी रख दूँ;
मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा!

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बैठ कर किनारे पे मेरा दीदार ना कर;
मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख!

बैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना कर;
मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख!

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किसी को अपना बनाने के लिए हमारी सारी खूबियाँ भी कम पड़ जाती हैं;
जबकि किसी को खोने के लिए एक कमी ही काफी है!

कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र;
खुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना!

तकदीरें बदल जाती है, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो;
वरना ज़िन्दगी तो कट ही जाती है, तकदीर को इल्जाम देते देते!

कुछ अमल भी ज़रूरी है, इबादत के लिए;
सिर्फ सजदा करने से, किसी को जन्नत नहीं मिलती!

ज़िदगी जाने कितने मोड़ लेती है, हर मोड़ पर नए सवाल देती है;
तलाशते रहते हैं हम जवाब ज़िन्दगी भर;
और जब जवाब मिल जाये तो ज़िन्दगी सवाल बदल देती है!

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