आखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ से,
कहाँ है वो शक्स जो तुझे मुझ से भी अज़ीज़ था!

जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है;
जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी है;
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने;
अभी तो सारा आसमान बाकी है!

छोड़ ये बात कि मिले ये ज़ख़्म कहाँ से मुझ को;
`ज़िन्दगी बस तू इतना बता!` कितना सफर बाकि है!

बिना लिबास आये थे इस जहां में;
बस एक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा!

मंजिल तो मिल ही जाएगी, भटक के ही सही;
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं!

एक ही गलती हम सारी उम्र करते रहे;
धूल चेहरे पे थी;
और हम आइना साफ़ करते रहे!

सारी उम्र अधुरा रहा मैं, जब सांस रुकी लोग कहते पूरा हो गया!

आपके आने से ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है!
दिल में बसाई है जो वो आपकी ही सूरत है!
दूर जाना नहीं हमसे कभी भूलकर भी!
हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है!

कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा!
इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा!
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे, कल मिलेंगे!
कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा!

तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी!
तेरे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी!
क्या कहे क्या गुजरेगी दिल पर!
जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी!

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