ग़म न कर जिंदगी बहुत बड़ी है,
यह महफ़िल तेरे लिए ही सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
तकदीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है!
मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना;
ज़िंदगी रुलाने के मौके तलाश लेगी!
कदमो को बाँध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें;
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूँ मैं!
नजरिया बदल के देख, हर तरफ नजराने मिलेंगे;
ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे।
तुम ज़माने की राह से आए;
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का!
बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप;
खुल के न देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप!
इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िन्दगी;
हमें कौन से सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ!
थोड़ा सा रफू करके देखिये न;
फिर से नयी सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है!
लगता है आज ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा है;
चलो छोड़िये, कौन सी पहली दफा है!
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में;
बस हम गिनती उसी की करते हैं जो हासिल ना हो सका!