एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद;
दूसरा सपना देखने के हौसले को 'ज़िंदगी' कहते हैं!
दिल खोल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर;
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर!
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब;
अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा!
कागज की कश्ती में सवार है हम;
फिर भी कल के लिये, परेशान है हम!
हौंसलों का सबूत देना था किसी को;
इसलिए ठोकरें खा के भी मुस्कुरा पड़े!
बड़े महँगे किरदार है ज़िंदगी में, जनाब;
समय समय पर सबके भाव बढ़ जाते हैं!
बड़े महँगे किरदार है ज़िंदगी में, जनाब;
समय समय पर सबके भाव बढ़ जाते हैं!
ज़िंदगी जब जख्म पर दे जख्म तो हँसकर हमें,
आजमाइश की हदों को आजमाना चाहिए।
जिंदगी बस यूँ ही खत्म होती रही,
जरुरतें सुलगी, ख्वाहिशें धुँआ होती रहीं!
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले,
वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा!