उन की महफ़िल में 'ज़फ़र' लोग मुझे चाहते हैं;
वो जो कल कहते थे दीवाना भी सौदाई भी!
आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए;
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए!
अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज;
नादान था मगर ये दीवाना कभी न था!
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन;
मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर!
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़;
मुझ को आदत है मुस्कुराने की!
दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा;
घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा!
कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है;
एक दीवाने का ज़ंजीर से रिश्ता क्या है!
है मेरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं;
उस परी का सेहर यारो कुछ कहा जाता नहीं!
* सेहर - सम्मोहन, जादू
आँख पर-नमी मगर मुस्कुराहट मेरी;
कह रही थी कहानी मेरे इश्क़ की!
जहाँ उन को उन के इशारों को देखा;
वहीं दिल की साज़िश के मारों को देखा!



