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कोई जिस्म पर अटक गया कोई दिल पर अटक गया,
इश्क उसका ही मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँच गया!

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ना जन्नत में, ना ख्यालों में, ना ही किसी जमाने में;
सुकून दिल को मिलता है हमें तुमसे नजरें मिलाने में!

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क़र्ज़ होता तो उतार भी देते,
कम्बख्त इश्क़ था चढ़ा रहा!

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ये इश्क़ और मोहब्बत की रवायत भी अजीब है;
जिसको पाया नहीं उसको खोना भी नहीं चाहते!

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तुम स्नेह के सौदे भी अजीब करते हो,
बस जरा सा मुस्कुरा कर दिल खरीद लेते हो!

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बीच का रास्ता नहीं होता है,
इश्क होता है या नहीं होता है!

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दूसरों को खास करने की चाह में;
अक्सर खुद को आम कर देता हूँ!

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मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है;
मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है!

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आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें;
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं!

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कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं,
कुछ लोग हम पर दिल हार बैठे हैं;
इश्क़ को आग का दरिया ही समझ लीजिये,
कुछ इस पार तो कुछ उस पार बैठे हैं!

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