अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात;
जो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए!
कुछ यूँ तुम इश्क़ का आगाज़ कर दो,
नज़र आयें हम तो नज़र-अंदाज़ कर दो!
दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो,
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो;
बहुत चोट लगती है मेरे दिल को,
तुम ख्वाबों में आकर यूँ तडपाया ना करो!
बदलते नहीं जज़्बात मेरे तारीखों की तरह;
बेपनाह मोहब्बत पहले भी थी और आज भी है!
हम वक़्त रोक लेंगे तुम्हारे लिए,
तुम बेवक्त मिलना तो शुरू करो!
ये मोहब्बत का शहर है ज़नाब,
यहाँ सवेरा सूरज से नहीं किसी के दीदार से होता है!
मैं चलता गया, रास्ते मिलते गये,
राह के काँटे फूल बनकर खिलते गये;
ये जादू नहीं, आशीर्वाद है मेरे अपनों का,
वरना उसी राह पर लाखों फिसलते गये!
उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ;
पाबंद कर गई है किसी की नजर मुझे!
सारी उम्र बचाया मैंने अपना दामन इश्क़ से,
जब बाल सफेद हुए तब इश्क़ ने रंगना सिखा दिया!
आओ आज मुश्किलों को हराते हैं;
चलो आज दिन भर मुस्कुराते हैं!



