वो वक़्त वो लम्हें कुछ अजीब होंगे;
दुनिया में हम खुश नसीब होंगे;
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको;
क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे!

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कभी कभी इतनी शिद्दत से आपकी याद आती है;
मैं पलकों को मिलाता हूँ, तो आँखें भीग जाती हैं!

नींद आये या ना आये, चिराग बुझा दिया करो,
किसी की याद में किसी और को जलाना अच्छी बात नहीं।

यह यादों का ही रिशता है, जो छूटता नहीं;
वरना मुद्दत हुई कि वो दामन, छुडा चले गए।

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बैठे थे अपनी याद लेकर कि अचानक चौंक उठे;
किसी ने शरारत से कह दिया सुनो वो मिलने आये हैं।

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रख दी गयी कायनात हमारे क़दमों में;
मगर हमने तुम्हारी यादों का सौदा नहीं किया।

यादें भी क्या क्या करा देती हैं,
कोई शायर हो गया तो कोई खामोश हो गया।

वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है;
ख्वाबों में दास्ताँ पुरानी भेज देती है;
कितने मीठे हैं उसकी यादों के मंज़र;
कभी-कभी आँखों में पानी भेज देती है।

आ गयी तेरी याद दर्द का लश्कर लेकर,
अब कहाँ जायें हम दिल-ए-मुजतर लेकर।

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तू याद रख या ना याद रख,
तू याद है बस ये याद रख।

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