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मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।

कुछ खूबसूरत पलों की महक सी हैं तेरी यादें,
सुकून ये भी है कि ये कभी मुरझाती नहीं।

कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी,
हजारो अपने है मगर याद सिर्फ वो ही आता है।

महक रही है जिंदगी आज भी जिसकी खुशबू से,
वो कौन था जो यूँ गुजर गया मेरी यादों से।

हमारे पास तो सिर्फ तेरी यादे हैं,
ज़िन्दगी तो उसे मुबारक हो, जिसके पास तू है।

फूलों की तरह जब होंठों पे एक शोख़ तबस्सुम बिखरेगा,
धीरे से तुम्हारे कानों में एक बात पुरानी कह देंगे।

अब ऐसा भी क्या लिखूं, मैं तेरी याद में;
कि तेरी सूरत दिखे मुझे हर अलफ़ाज़ में।

कितने अनमोल होते हैं ये यादों के रिश्ते भी,
कोई याद ना भी करे चाहत फिर भी रहती है।

अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ पर;
सो जाऊं तो उठा देती हैं जाग जाऊँ तो रुला देती हैं।

तेरे गम में भी नायाब खजाना ढूँढ लेते हैं,
हम तुम्हें याद करने का बहाना ढूँढ लेते हैं।

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