प्यार करते हैं तुमसे कितना दिखा ना सके;
तुम क्या हो हमारे लिए कभी बता ना सके;
तुम साथ नहीं हो फिर भी;
तुम्हारी याद को कभी हम भुला ना सके।
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में;
फिर रात को उसकी यादों की हवा चलती है और हम फिर बिखर जाते हैं।
दुनिया के ज़ोर प्यार के दिन याद आ गये;
दो बाज़ुओ की हार के दिन याद आ गये;
गुज़रे वो जिस तरफ से बज़ाए महक उठी;
सबको भरी बहार के दिन याद आ गये।
तेरी यादें भी न मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं;
तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
अभी मशरूफ हूँ काफी कभी फुर्सत में सोचूंगा;
कि तुझको याद रखने में मैं क्या - क्या भूल जाता हूँ।
यह याद है आपकी या यादों में आप हो;
यह ख्वाब है आपके या ख्वाबों में आप हो;
हम नहीं जानते बस इतना बता दो;
हम जान है आपकी या जान हमारी आप हो?
अब सोचते हैं लाएँगे तुझ सा कहाँ से हम;
उठने को उठ तो आए तेरे आस्ताँ से हम।
समंदर के सफर में इस तरह आवाज़ दो हमको;
हवाएं तेज़ हो जायें और कश्तियों में शाम हो जाये;
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो;
ना जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये।
बन कर अजनबी मिले थे ज़िंदगी के सफ़र में;
इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहीं;
अगर याद रखना फितरत है आपकी;
तो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं।
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी;
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी;
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा प्यार को;
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी।



