बिछड़ी हुई राहों से जो गुज़रे हम कभी;
हर ग़म पर खोयी हुई एक याद मिली है।
याद रूकती नहीं रोक पाने से;
दिल मानता नहीं किसी के समझाने से;
रुक जाती हैं धड़कनें आपके भूल जाने से;
इसलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से।
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती;
मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती;
बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से;
उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती।
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली;
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।
चाँद के बिना अँधेरी रात रह जाती है;
साथ कुछ हसीन मुलाकात रह जाती है;
सच है जिंदगी कभी रूकती नहीं;
बस वक़्त निकल जाता है और याद रह जाती है।
फूल शबनम में डूब जाते हैं;
जख्म मरहम में डूब जाते हैं;
जब आती है कभी याद तेरी;
हम तेरे गम में डूब जाते हैं।
मालूम नहीं मंज़िल खुद मुझे अपनी;
कदम रुक जायेंगे खुद, सफर जहाँ खत्म होगा;
तुम्हें याद न करूँ ऐसा पल न कभी आये;
भूल जाऊं जिस दिन मैं तुम्हें, वो दिन आखिरी हो जाये।
आज तेरी याद सीने से लगा कर हम रोये;
तन्हाई में तुझे पास बुला कर हम रोये;
कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें;
हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये।
कोई प्यार पाने की ज़िद्द में है;
शायद कोई आज़माने की ज़िद्द में है;
मुझे जिस की याद आती है इतनी शिद्दत से;
शायद वो मुझ से दूर जाने की ज़िद्द में है।
चलो बाँट लेते हैं अपनी सजायें;
न तुम याद आओ न हम याद आयें।



