किसी की यादों ने पागल बना रखा है;
कहीं मर ना जाऊं कफ़न सिला रखा है;
जलने से पहले दिल निकाल लेना;
कहीं वो ना जल जाए जो दिल में छुपा रखा है।
यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब से;
इश्क की राहों में तन्हा मिली हमसफ़र बन गई....
तुझको याद करके रोता है अब दीवाना तेरा;
जो ना भूल पाएगा कभी भी ठुकराना तेरा;
तुम हमें भूल जाओ शायद ये फितरत है तेरी;
मुश्किल है हमारे लिए प्यार भुलाना तेरा।
तुम्हारी याद के सहारे जिए जाते है;
वरना हम तो कब के मर गए होते;
जो जख्म दिल में नासूर बन गए;
जख्म वो कब के भर गए होते।
एक तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल को;
बाकी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में।
बेताब से रहते हैं उसकी याद में अक्सर;
रात भर नहीं सोते हैं उसकी याद में अक्सर;
जिस्म में दर्द का बहाना सा बना कर;
हम टूट कर रोते हैं उसकी याद में अक्सर।
अभी-अभी वो मिला था हज़ार बातें कीं;
अभी-अभी वो गया है मगर ज़माना हुआ।
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं;
मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं।
यह मोहब्बत भी है क्या रोग फ़राज़;
जिसे भूले वो सदा याद आया।
हर वक़्त तेरी यादें तड़पाती हैं मुझे;
आखिर इतना क्यों ये सताती है मुझे;
इश्क तो किया था तूने भी गर्व से;
तो यही एहसास क्यों नहीं दिलाती है तुझे।



