तेरे बगैर इस जिंदगी की हमें जरुरत नहीं;
तेरे सिवा हमें किसी और की चाहत नहीं;
तुम ही रहोगे हमेशा मेरे दिल में;
किसी और को इस दिल में आने की इजाजत नहीं।
किस जगह रख दूँ मैं, तेरी याद के चराग़ को
कि रौशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले।
बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे;
कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।
हर बात समझाने के लिए नहीं होती;
ज़िंदगी अक्सर कुछ पाने के लिए नहीं होती;
याद अक्सर आती है आपकी;
पर हर याद जताने के लिए नहीं होती।
मेरी तन्हाइयां करती हैं जिन्हें याद सदा;
उन को भी मेरी ज़रुरत हो ज़रूरी तो नहीं।
उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं;
घर भी कैसे जाऊं अब तो कोई बहाना नहीं;
मुझे याद रखना कहीं तुम भुला न देना;
माना के बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं।
मुझे ये डर है तेरी आरज़ू ना मिट जाए;
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।
क्या अच्छा क्या बुरा क्या भला देखा;
जब भी देखा तुझे अपने रु-बरु देखा;
सोचा बहुत भूलकर भी सोचूँ ना तुझे;
जिस रात आँख लगी फिर तुझे हर सू देखा।
उम्र की राह में रास्ते बदल जाते हैं;
वक़्त की आंधी में इंसान बदल जाते हैं;
सोचते हैं तुम्हें इतना याद न करे लेकिन;
आँख बंद करते ही ख़यालात बदल जाते हैं।
ये आरज़ू थी कि ऐसा भी कुछ हुआ होता;
मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता;
मैं लौट आती तेरे पास एक लम्हे में;
तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता!



