काश वो एक नया तरीका मेरे क़त्ल का इज़ाद करें;
मर जाऊ मैं हिचकियों से वो इस कदर मुझे याद करें!
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा;
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा;
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं;
तुम्हारी नफरतों की पीड़ को ज़िंदा नहीं रखा!
वो रूठे इस कदर की मनाया ना गया;
दूर इतने हो गए कि पास बुलाया ना गया;
दिल तो दिल था कोई समंदर का साहिल नहीं;
लिख दिया था जो नाम वो फिर मिटाया ना गया!
अपने दिल की सुन अफवाहों से काम ना ले;
मुझे दिल में रख बेशक मेरा नाम ना ले;
ये वहम है तेरा कि तुझे भूल जायेंगे हम;
मेरी कोई ऐसी साँस नहीं जो तेरा नाम ना ले!
कौन कहता है तेरी याद से बेख़बर हूँ मैं;
ज़रा बिस्तर की सिलवटो से पूँछ, मेरी रात कैसे गुजरती है?
न तस्वीर है आपकी जो दीदार किया जाए;
न आप पास हैं जो बात की जाए;
ये कौन सा एहसास दिया है आपने;
न कुछ कहा जाए, न रहा जाए!
यूँ तो कई बार भीगे बारिश में;
मगर ख्यालों का आँगन सूखा ही रहा;
जब आँखों की दीवारें गीली हुई उसकी यादो से;
तब ही जाना हम ने बारिश क्या होती है!
कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोए;
जब भी तेरी याद सी आई तुझे भुला के रोए;
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा;
जितना लिख के खुश हुए उससे ज्यादा मिटा के रोए!
कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें;
आये हैं तो फिर गली में से पत्थर ही ले चलें;
रंज-ए-सफ़र की कोई निशानी तो पास हो;
थोड़ी-सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें!
बनकर अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर में;
इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नही;
अगर याद रखना फितरत है आपकी;
तो वादा है हम भी आपको कभी भुलायेंगे नही।



