यादों में हम रहें ये एहसास रखना;
नज़रों से दूर सही दिल के पास रखना;
ये नहीं कहते कि साथ रहो दूर सही पर याद रखना!

करोगे याद गुजरे जमाने को,
तरसोगे हमारे साथ एक पल बिताने को,
फिर आवाज़ दोगे हमे वापिस बुलाने को,
और हम कहेंगे दरवाजा नहीं है कबर से बाहर आने को!

हर पल ने कहा एक पल से,
पल भर के लिये आप मेरे सामने आ जाओ...
पल भर का साथ कुछ ऐसा हो...
कि हर पल तुम ही याद आओ!

किसी ने हमसे पूछा कि वादों और यादो में क्या फर्क होता है? हमने बस इतना ही कहा कि `वादों को तो इंसान तोड़ देता है` पर `यादे इंसान को तोड़ देती है`!

कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त;
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते!

यादे अजीब होती हैं;
बता के नहीं आती और रुला कर भी नहीं जाती!

किसी की यादों ने हमने तनहा कर दिया;
वरना हम अपने आप में किसी महफ़िल से काम न थे!

तेरी आँखों में हमे जाने क्या नज़र आया!
तेरी यादों का दिल पर सरुर है छाया!
अब हमने चाँद को देखना छोड़ दिया!
और तेरी तस्वीर को दिल में छुपा लिया!

गर्दिश में सितारे होतें हैं!
सब दूर किनारे होतें हैं!
यूँ देख के यादों की लहरें!
हम बैठ किनारे रोते हैं!

जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती!
मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती!
बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से!
उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती!

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