गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें यूँ ही मुसाफिरों की तरह;
यादें वहीं खड़ी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह!
फुर्सत में भी फुर्सत नहीं मिली उन्हें हमें याद करने की,
आजकल हम किसी के लिये इतने फ़िज़ूल हो गये।
बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यादों का कारोबार;
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है!
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं;
सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी!
उसको बस इतना बता देना इतना आसान नहीं है तुमको भुला देना;
तेरी यादें भी तेरे जैसी ही हैं उन्हें आता है बस रुला देना!
याद आएगी तुझे उस वक़्त हमारी;
जब दिल वालों की महफ़िल में तुझे कोई दिल से नहीं मिलेगा!
वक़्त अक्सर मांगता है उन्हीं लम्हों का सबूत हमसे,
जिनकी यादें तो होती है मगर कोई निशानी नहीं होती!
मैंने दिल से कहा, उसे थोड़ा कम याद किया कर;
दिल ने कहा वो सांस है तेरी, तू साँस ही मत लिया कर!
एक कत़रा ही सही आँख में पानी तो रहे,
ए मोहब्बत तेरे होने की निशानी तो रहे;
बस यही सोच के यादों को तेरी दे दी पनाह,
इस नये घर में कोई चीज पुरानी तो रहे!
फुर्सत में याद करना हो तो मत करना,
हम तन्हा ज़रूर हैं, मगर फज़ूल नहीं।



