कल रात को खोल कर देखी यादों की किताब;
रो पड़े कि क्या क्या खोया है हमने ऐ ज़िंदगी!
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे,
हर ख्वाब मे बुलाया है तुझे,
क्यू न करे याद तुझ को;
जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे!
बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार;
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है!
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे, हर ख्वाब मे बुलाया है तुझे;
क्यू न करे याद तुझ को, जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे!
जख्म ऐ दिल पर हाथ रखकर मुस्कुराना भी इश्क है;
याद रखना याद करना और याद आना भी इश्क है!
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल,
दिल-ऐ-ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया;
कोई वीरानी सी वीरानी है,
दश्त को देख के घर याद आया!
मुद्दत हो गयी इक वादा किया था उन्होने,
कश्मकश में हूँ, याद दिलाऊँ कि इंतज़ार करूँ!
अगर हो वक़्त तो मुलाकात कीजिये,
दिल कुछ कहना चाहे कुछ बात कीजिये,
यूँ तो मुश्किल है हमसे दूर रहना,
पर एक लम्हा मिले तो हमें याद कीजिये।
खुद को समेट के खुद मे सीमट जाते है हम;
जब तेरी याद आती है फिर से बिखर जाते है हम!
कभी रिहा न किया मैने तुझे अपनी यादों की कैद से;
नाकाम ही सही तुझसे बेइंतिहा इश्क किया था मैंने!



