शिद्दत से जिया है हर लम्हें को;
यूँ ही यादें खुबसूरत तो नहीं होती!
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं,
तुम्हारी नफरतों की पीर को ज़िंदा नहीं रखा।
मेरी यादों से अगर बच निकलो तो, वादा मेरा है तुमसे,
मै खुद दुनिया से कह दूगी की, कमी मेरी वफ़ा में थी!
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी;
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा!
आज रात भी मुमकिन है सो न पाऊं मैं;
याद फ़िर आये हैं नींदों को उड़ाने वाले!
मोहब्बत की बातें न भूली भुलाये;
बहुत देर रोये जो तुम याद आये!
याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाब;
बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती है!
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद;
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद!
मैं लोगों से मुलाकात के लम्हें याद रखता हूँ;
मैं बातें भूल भी जाऊं पर लहज़े याद रखता हूँ।
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें यूँ ही मुसाफिरों की तरह;
यादें वहीं खड़ी रह जाती हैं, रूके रास्तों की तरह।



