हाए वो लोग गए चाँद से मिलने और फिर;
अपने ही टूटे हुए ख़्वाब उठा कर ले आए!
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;
अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !
रात को सोना न सोना सब बराबर हो गया;
तुम न आए ख़्वाब में आँखों में ख़्वाब आया तो क्या!
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया;
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया!
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही;
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही!
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं;
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं!
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था;
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्हीं से सीखा!
गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है;
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं!



