
जाने क्या सोच के हम तुझ से वफ़ा करते हैं;
क़र्ज़ है पिछले जन्म का सो अदा करते हैं!

ग़मों से बशर को रिहा देखना;
सुलगती कोई जब चिता देखना!

इस तअल्लुक़ को तू रस्ते की रुकावट न समझ;
अब किसी और का होना है तो चल जा हो जा!

तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़;
किस से किस का गिला करे कोई!

ख़ुश हूँ कब दिल की दास्ताँ कह कर;
क्या मिलेगा यहाँ वहाँ कह कर!

बे-ज़मीरों के कभी झांसे में मैं आता नहीं;
मुश्किलों की भीड़ से हरगिज़ मैं घबराता नहीं!

ऊँची ऊँची इमारतों में मेरे हिस्से का आसमान लापता;
मसरूफ़ से इस शहर में जिस्म तो हैं इंसान लापता!

मुझ से कहते हो क्या कहेंगे आप;
जो कहूँगा तो क्या सुनेंगे आप!

पिछले सफ़र का अक्स-ए-जियाँ मेरे सामने;
सब बस्तियाँ धुआँ ही धुआँ मेरे सामने!

मुमकिन नहीं है अपने को रुसवा वफ़ा करे;
दुनिया-ए-बे-सबात की ख़ातिर दुआ करे!